भारत की अध्यक्षता में जी-20 के पहले अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना कार्य समूह की दो दिनी बैठक का उद्घाटन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस जी के साथ आज चंडीगढ़ में किया।

विज्ञान व नवाचार से भारत का विकास तेजी से हो रहा है, ये दोनों भारत के भविष्य के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। हमने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है। वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में वित्तीय समावेशन, धारणीय ऊर्जा की ओर गमन में हमारा उल्लेखनीय योगदान रहा है और विकास की जन-केंद्रितता हमारी राष्ट्रीय रणनीति का आधार है। यह वही दर्शन है, जो हमारी जी-20 की अध्यक्षता का विषय 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' को भी रेखांकित करता है।

भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता करना सभी नागरिकों के लिए गर्व का क्षण है, साथ ही इस ऐतिहासिक अवसर के साथ आने वाली जिम्मेदारियों से हम भली-भांति परिचित हैं। आज दुनिया अनेक जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है, जो गहराई से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और केवल सीमाओं द्वारा परिभाषित नहीं की जाती हैं। जिन चुनौतियों का सामना किया जा रहा है, वे वैश्विक प्रकृति की हैं और इनके लिए वैश्विक समाधान की ही आवश्यकता है, इसलिए विश्व समुदाय को आज वैश्विक रूप से समन्वित नीतियों व कार्यों की ओर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। बहुपक्षवाद में नए सिरे से विश्वास करने की भी आवश्यकता है। लोकतंत्र व बहुपक्षवाद के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हमारा राष्ट्र न केवल बहुआयामी विकास को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है बल्कि सार्वभौमिक रूप से मान्य शक्‍ति भी प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हाल ही में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में, भारत को नाजुक दुनिया में एक उज्ज्वल रोशनी के रूप में वर्णित किया गया और जलवायु लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व कोविड बाद विकास पथ पर लौटने की सभी ने सराहना की है।
भारत उसे दी गई जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं। हमें अपने सफल विकास मॉडल के टेम्प्लेट साझा करने में खुशी होगी, उसी प्रकार सभी से सीखने के लिए भी हम तत्पर हैं। इस वर्ष हमारी प्राथमिकताओं व परिणामों द्वारा,विचार-विमर्श के माध्यम से व्यावहारिक वैश्विक समाधान ढूंढना चाहते हैं। ऐसा करते हुए, हम विकासशील देशों की आवाज को बढ़ाने में भी गहरी रूचि लेंगे। हम अब किसी को पीछे नहीं छोड़ सकते। हमारे जी-20 के समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुख व निर्णायक एजेंडा के माध्यम से, हमारा लक्ष्य 'वसुधैव कुटुम्बकम' की सच्ची भावना को प्रकट करना है।

हाल के वर्षों में सबसे असुरक्षित व कम आय वाले विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने में इस समूह के अनुकरणीय योगदान के चलते ऋण की बढ़ती असुरक्षा दूर करने के लिए किए उपाय विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। 2023 में भारत की अध्यक्षता से इन प्रयासों की बढ़ती गति जारी रहेगी। साथ ही, समूह इस बात पर विचार करने के लिए अपनी अच्छी स्थिति का भी लाभ उठाएगा कि हम वैश्विक व वित्तीय शासन को कैसे फिर से डिजाइन कर सकते हैं। भारत की अध्यक्षता में समूह यह पता लगाने का प्रयास करेगा कि विकास के प्रमुख एजेंट बहुपक्षीय विकास बैंक 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए किस प्रकार बेहतर ढंग से सुसज्जित हो सकते हैं।
बैठक में आईएफए को-चेयर श्री विलियम रूस (फ्रांस), ब्युंगसिक जंग (दक्षिण कोरिया), केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती मनीषा सिन्हा, आरबीआई सलाहकार श्रीमती महुआ राय भी उपस्थित थीं।

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