12 साल की तपस्या के बाद बनती हैं महिला नागा, पुरुष नागा से अलग होता है इनका पहनावा
नागा साधु हमेशा से रहस्य के केंद्र रहे हैं। पुरुष ही नहीं बल्कि, महिलाएं भी नागा साधु होती हैं। कुछ मामलों में पुरुष और महिला नागा साधु अलग हैं।

उनके अखाड़े भी अलग हैं। वेश-भूषा में भी अंतर है। महिला नागा-साधु सुबह कब उठती हैं। उन्हें क्या कहा जाता है?, शाम को क्या करती हैं? क्या रहती है उनकी दिनचर्या? आज हम आपको महिला नागा साधुओं से जुड़ी कुछ रोचक और रहस्यमयी बातें बताने जा रहे हैं।
महिला नागा को 'माता' कहते हैं साधु और साध्वियां
पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधुओं का जीवन भी पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित होता है। जब एक महिला नागा साधु बन जाती है, तो सारे ही साधु और साध्वियां उन्हें माता कहने लगती हैं। माई बाड़ा, वह अखाड़ा है जिनमें महिलाएं नागा साधु होती हैं। प्रयागराज में 2013 में हुए कुम्भ में माई बाड़ा को और बड़ा रूप देकर दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का नाम दिया गया।
नागा एक पदवी होती है। साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीनों ही सम्प्रदायों के अखाड़े नागा बनाते हैं। पुरुष साधुओं को सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की अनुमति है, मगर महिला साधु ऐसा नहीं कर सकतीं।
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